ताजमहल किसने बनवाया था – पूरा सच!
नाम ताजमहल आपके मन में रोमांस, कला और भव्यता का भाव भर देता है। यह सिर्फ एक इमारत नहीं है; यह एक भावना है जो हर भारतीय को खुश करती है। किंतु आपने कभी सोचा है कि ताजमहल किसने बनाया था?यह सवाल इतना साधारण लगता है, लेकिन इसके पीछे इतिहास है।
ताजमहल, मुगल सम्राट शाहजहाँ की पत्नी मुमताज़ की याद में बनाया गया था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में बहुत कुछ सामने आया है— यह पहले शिव मंदिर था, लेकिन कुछ लोग इसे फारसी कला का नमूना मानते हैं।
आइए इस लेख में हम इन सभी बातों की तह तक चलते हैं और जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इस अद्भुत इमारत की सच्चाई क्या है।
ताजमहल – भारत की पहचान
ताजमहल क्यों इतना खास है?
ताजमहल को अक्सर प्रेम का प्रतीक कहा जाता है। इसकी सफेद संगमरमर की सुंदरता, इसके पीछे की प्रेम कहानी, और इसकी अद्वितीय वास्तुकला इसे दुनिया भर में एक अलग पहचान देती है। यह एकमात्र ऐसी इमारत है जो भारत की सांस्कृतिक धरोहर के साथ-साथ भावनात्मक जुड़ाव भी रखती है।
इसकी खासियत सिर्फ इसके डिज़ाइन में नहीं, बल्कि इसमें छिपी भावना में है। जब कोई पर्यटक ताजमहल को पहली बार देखता है, तो उसकी आँखों में एक अलग चमक होती है। वह इसकी सुंदरता में खो जाता है। सुबह सूरज की पहली किरण जब इसके संगमरमर पर पड़ती है, तो यह हल्का गुलाबी दिखाई देता है। दोपहर में सफेद और शाम को सुनहरा। ये परिवर्तन दर्शाते हैं कि ताजमहल सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि एक जीवंत कला है।
हर साल क्यों आते हैं लाखों सैलानी?
हर साल लाखों लोग भारत और दुनिया भर से ताजमहल को देखने आते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है इसकी अमर प्रेम कहानी। मुमताज़ महल की मौत के बाद शाहजहाँ का दुख, और उनके द्वारा बनवाया गया यह स्मारक – लोगों के दिलों को छूता है।
इसके अलावा, UNESCO द्वारा इसे विश्व धरोहर घोषित करना, इसे दुनिया के सात अजूबों में शामिल करना, और इसके चारों ओर बनी आकर्षक बग़ीचे और जलनहरें, इसे और भी अधिक दर्शनीय बनाते हैं।
इतिहास की परतें – ताजमहल का निर्माण
ताजमहल का निर्माता – शाहजहाँ
शाहजहाँ, जिनका असली नाम खुर्रम था, मुग़ल वंश के पाँचवे शासक थे। उन्हें स्थापत्य कला का बहुत शौक था और उन्होंने कई अद्भुत इमारतें बनवाईं। लेकिन ताजमहल उनके दिल के सबसे करीब था।
शाहजहाँ ने ताजमहल अपनी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनवाया। मुमताज़ की मृत्यु 1631 ईस्वी में हुई थी, जब वह अपने 14वें बच्चे को जन्म दे रही थीं। यह घटना शाहजहाँ के जीवन में सबसे बड़ा झटका था। वह इतने दुखी हुए कि उन्होंने तय कर लिया कि मुमताज़ की याद में कुछ ऐसा बनाएँगे जो दुनिया में बेमिसाल हो।
मुमताज़ महल की कहानी
मुमताज़ महल, जिनका असली नाम अर्जुमंद बानू बेगम था, शाहजहाँ की सबसे प्रिय पत्नी थीं। वह न सिर्फ सुंदर थीं, बल्कि समझदार, बुद्धिमान और बेहद सहनशील थीं। शाहजहाँ के हर फैसले में उनकी सलाह अहम मानी जाती थी।
उनकी मृत्यु के बाद, शाहजहाँ ने न सिर्फ ताजमहल का निर्माण करवाया, बल्कि उनकी याद में कई वर्षों तक शोक भी मनाया। कहा जाता है कि शाहजहाँ ने सफेद कपड़े पहनने शुरू कर दिए थे और संगीत सुनना छोड़ दिया था।
निर्माण की शुरुआत और अवधि
कब शुरू हुआ था निर्माण कार्य?
ताजमहल का निर्माण कार्य मुमताज़ की मृत्यु के अगले ही साल, यानी 1632 में शुरू हो गया था। पहले उसकी योजना बनी, डिजाइन तय हुए और फिर जगह चुनी गई – यमुना नदी के किनारे, ताकि एक शांत और पवित्र वातावरण मिले।
इस परियोजना के लिए खास तौर पर देश-विदेश से कारीगरों, इंजीनियरों, और शिल्पकारों को बुलाया गया। इसके लिए पहले एक मजबूत नींव बनाई गई, जो नदी के किनारे पर स्थिर रह सके। इसके बाद धीरे-धीरे पूरी संरचना बनाई गई।
कितने समय में बना था ताज?
ताजमहल को बनने में कुल 22 साल लगे – 1632 से 1653 तक। इस बीच लगातार हजारों मजदूर और कारीगर इस पर काम करते रहे। इतने लंबे समय में किसी भी इमारत को बनाना आसान नहीं होता, खासकर तब जब तकनीक इतनी विकसित नहीं थी।
इसमें मुख्य गुंबद, चार मीनारें, प्रवेश द्वार, बाग़-बग़ीचे, नहरें और अंदर की नक्काशी – हर चीज़ को इतनी बारीकी और सलीके से बनाया गया है कि आज भी लोग इसे देखकर हैरान रह जाते हैं।
निर्माण में किस-किस का योगदान था?
मुख्य वास्तुकार कौन था?
ताजमहल के मुख्य वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी माने जाते हैं। वह एक बेहद कुशल और अनुभवी शिल्पकार थे, जिन्हें फारसी और भारतीय स्थापत्य कला का गहरा ज्ञान था।
उस्ताद अहमद लाहौरी के नेतृत्व में एक बड़ी टीम ने इस भव्य मकबरे की रूपरेखा तैयार की और फिर निर्माण कार्य को अंजाम दिया। उन्होंने हर एक डिज़ाइन एलिमेंट को बारीकी से तैयार किया, जिसमें आंतरिक गुंबद, संगमरमर की नक्काशी, और मीनारों की सुरक्षा के लिए झुकाव जैसी तकनीकें शामिल थीं।
कारीगर और मजदूरों की मेहनत
इस इमारत के निर्माण में करीब 20,000 से अधिक कारीगरों ने काम किया था। इनमें भारत, फारस, तुर्की, और मध्य एशिया के कलाकार, पत्थर तराशने वाले, नक्काशीकार, और वास्तुविद शामिल थे।
संगमरमर राजस्थान के मकराना से मंगवाया गया था, और उसमें जड़े गए कीमती पत्थर दुनिया भर से लाए गए – जैसे चीन से जेड और क्रिस्टल, श्रीलंका से नीलम और अफगानिस्तान से लैपिस लाजुली।
ताजमहल की वास्तुकला – एक अद्भुत मिसाल
इस्लामी, फारसी और भारतीय शैली का संगम
ताजमहल की डिज़ाइन एक अद्भुत मिश्रण है – इसमें इस्लामी ज्यामिति, फारसी बग़ीचा शैली, तुर्की गुम्बद तकनीक, और भारतीय नक्काशी शामिल है। इसे देखकर एक बात साफ हो जाती है – यह सिर्फ एक मकबरा नहीं, बल्कि कला और संस्कृति का संगम है।
मुख्य गुम्बद के ऊपर बना कमल का डिज़ाइन, आयतें, मीनारों का आर्किटेक्चर, और बग़ीचों की योजना – ये सभी मिलकर एक ऐसे दृश्य की रचना करते हैं जो सौंदर्य और भावनाओं से भरा हुआ है।
संरचना की प्रमुख विशेषताएं
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सफेद संगमरमर की मुख्य इमारत
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चारों कोनों पर बनीं ऊँची और हल्की झुकी मीनारें
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फूलों और बेल-बूटियों की सुंदर नक्काशी
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अंदर की दीवारों पर फारसी आयतें
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मुख्य गुम्बद और उसके नीचे बनी मुमताज़ और शाहजहाँ की कब्र
इन सभी विशेषताओं के कारण ताजमहल को आज भी एक स्थापत्य चमत्कार माना जाता है।
FAQs: Taj Mahal Kisne Banvaya Tha
Q1. ताजमहल की निर्माण अवधि कितनी थी?
👉 लगभग 22 साल (1632–1653 ई.)
Q2. क्या ताजमहल पहले मंदिर था?
👉 इस दावे के कोई ठोस प्रमाण नहीं हैं।
Q3. ताजमहल कहाँ स्थित है?
👉 आगरा, उत्तर प्रदेश, भारत
Q4. ताजमहल किसने बनवाया था?
👉 मुग़ल सम्राट शाहजहाँ ने।
Q5. इसमें किसकी कब्र है?
👉 मुमताज़ महल और शाहजहाँ – दोनों की।
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