Chhaava Movies Review In Hindi : विक्की कौशल की छावा मूवी
जाने रिव्यू
इतिहास में छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर हमने एक पूरा सिलेबस पढ़ा है, मगर उनके पुत्र छत्रपति संभाजी महाराज के बारे में हमें ज्यादा पढने को नहीं मिलता है निर्देशक लक्ष्मण उतेकर की फिल्म ( छावा ) छत्रपति संभाजी महाराज की उस शुर- वीरता को दर्शाती है, किसके कारण उनका नाम छावा पड़ा वो पुरे नौ साल तक मुग़ल सल्तनत के शाहजहा औरंगजेब की नाक् में दम करके रखे थे |
छावा की कहानी
कहानी में छत्रपति शिवाजी महाराज का निधन हो गया था, और मुग़ल साम्राज्य को लगता है अब उनके टक्कर में कोई नहीं है, अब वह मराठो पर एकछत्र राज कर सकेगा, इस बात से बिलकुल भी वाफिक नहीं था की छत्रपति शिवाजी महाराज को चौबीस साल का निर्भय और जाबाज बेटा संभाजी उर्फ़ छावा अपने पिता के स्वराज्य के सपने को आगे बढ़ने के लिए कटिबद्ध है, संभाजी की पत्नी भी अपने बहादुर राजा के इस सपने को पूरा करने के लिए खड़ा है |
संभाजी अपने सेनापति सर लश्कर उर्फ़ हंबिराव मोहिते और बहादुर सिपाहियों के साथ औरंगजेब की सल्तनत के महत्वपूर्ण गढ़ पर आक्रमण करते है, मुग़ल सल्तनत को मराठा वीरो की सेना छठी का दूध याद् दिला देती है, इसके बाद ही औरंगजेब की बेटी और मुगलों की विशालकाय सेना को संभाजी के पराक्रम का पता चलता है, इस पहली जित के बाद संभाजी और उसकी महा पराक्रमी सेना पुरे नौ साल तक औरंगजेब की सल्तनत के विभिन्न गढ़ों पर हमले करके उसकी रणनीति को नेस्तनाबूत करती जाती है |
अब संभाजी औरंगजेब के लिए एक ऐसा काटा बन चुके है, जिसे वह अपनी तमाम कुटनीतिक चालो के बावजूद निकाल नहीं पाया था, मगर फिर शेर की तरह दहाड़ सा निडर और हवा की तरह चपल महावीर संभाजी अपने द्वारा ही छला जाता है |
छावा के स्थाई शत्रु औरंगजेब के रूप में अक्षय खन्ना ने भी लाजवाब किरदार निभाए है, अक्षय के वनलाइनर हाव - भाव और उनका मेकप उनके रोल को यादगार बना ले जाते है, आशुतोष राणा ने सर लश्कर की भूमिका को बेहद प्रभावशाली ढंग से जिया है, तो वही कवि कलश की भूमिका में विनीत कुमार का चरित्र दिल को छु जाता है |
और आगे आपको बता दें की इस फिल्म में महिला किरदार को ज्यादा स्पेस नहीं दिया गया है, दिव्या दत्ता जैसे सक्षम अभिनेत्री को जाया कर दिया गया है, नाइका रश्मिका मंधना अपने किरदार के साथ न्याय किया है, मगर उकी डायलाग डिलीवरी खलती है, लेकिन डायना पेंटिंग बहुत ही निराश करती है, ऐसे ही कई डायलाग के अलावा उनके हिस्से में कूछ और करने जैसा नहीं था, और सहयोगी कास्ट भी बहुत मजबूत है |
छावा मुवी रिव्यू
'जरा हटके जरा बचके' 'मिमी' और 'लुकाछिपी' जैसी फिल्मो के निर्देशक लक्षमण उटेकर यहाँ ऐ ऐसे अनेक ऐतिहासित दौर की बात करते है, जिसे कुछ ही वाक्या में समेटा गया है, हाल ही में मेधा देशमुख की किताब लाइफ एंड डेथ ऑफ़ संभाजी महाराज पर आधारित ठाकुर अनूप सिंह की मराठी फिल्म महावीर छत्रपति संभाजी महाराज भी काफी चर्चित रहे |
फिल्म का पहला रोंगटे खड़े कर देने वाले युद्ध का दृश्य ही इसके मुड सेट कर देता है, साथ ही ये स्थापित हो जाता है की निर्भय और निडर छावा किस कमल का आक्रामक योद्धा है छत्रपति संभाजी महाराज की छोटी सी सेना जिस गोरिल्ला तकनीक से औरंगजेब की सेना के पसीना छुड़ाती है, वह देखने योग्य है जिसमे संभाजी तमाम यातनाओ के बावजूद घुटने नहीं टेकता फिल्म में हम शोर नहीं करते सीधा शिकार करते है |
Disclaimer: इस फिल्म के बारे में यह जानकारी सामान्य ज्ञान और उपलब्ध डेटा के आधार पर लिखी गई है, यह योजना वास्तविकता हो सकती है या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए अधिकृत स्रोतों से जानकारी प्राप्त करना उचित होगा, किसी भी ऑफिसियल वेबसाईट संपर्क करना आवश्यक है |






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